हिंदी में क्रिया के लिंग , वचन के सही रूप के लिए वाच्य को जानना अतिआवश्यक है। इसलिए आज हम आपको इस पोस्ट में वाच्य की परिभाषा, वाच्य के भेद , वाच्य परिवर्तन , कर्त्तृवाच्य , कर्मवाच्य , भाववाच्य , vachya in hindi, वाच्य के उदाहरण आदि के बारे में संक्षिप्त जानकारी दी गई है।
वाच्य : परिभाषा , भेद और उदाहरण | vachya in hindi
वाच्य की परिभाषा
वाक्य में प्रयुक्त होने वाली क्रिया का रूप कर्त्ता , कर्म या भाव किसके अनुसार प्रयुक्त हुआ है , इसका बोध कराने वाले कारको को वाच्य कहते है।
वाच्य के भेद
वाक्य में प्रयोग के आधार पर वाच्य के तीन प्रकार होते है -
- कर्तृवाच्य
- कर्मवाच्य
- भाववाच्य
1. कर्तृवाच्य :- जब वैक्य में प्रयुक्त होने वाली क्रिया का सीधा और प्रधान सम्बन्ध कर्त्ता से होता है , अर्थात क्रिया के लिंग , वचन कर्त्ता के अनुसार प्रयुक्त होते है , उसे कर्तृवाच्य कहते है।
जैसे -
- लड़का आम खाता है।
- लड़कियाँ दूध पीती है।
पहले वाक्य में 'खाता है।' क्रिया कर्त्ता 'लड़का' के अनुसार पुल्लिंग एकवचन की है जबकि अगले वाक्य में 'पीती है।' क्रिया कर्त्ता 'लड़कियाँ' के अनुसार स्त्रीलिंग , बहुवचन की है।
विशेष :- आदर शब्द के कारण 'आप' के लिए क्रिया सदैव बहुवचन में होती है , जैसे - आप आ रहे है।
2. कर्मवाच्य :- जब वाक्य में प्रयुक्त क्रिया का सीधे या प्रधान सम्बन्ध वाक्य में प्रयुक्त कर्म से होता है अर्थात क्रिया के लिंग , वचन कर्म के अनुसार (कर्त्ता के अनुसार नहीं ) होते है , उसे कर्मवाच्य कहते है।
कर्मवाच्य सदैव सकर्मक क्रियाओं का ही होता है क्योंकि इसमें 'कर्म' की मुख्य भूमिका(प्रधानता) रहती है।
जैसे-
- श्याम ने चाय पी।
- गरिमा नई दूध पीया।
पहले वाक्य में क्रिया 'पी' स्त्रीलिंग एकवचन है जो वाक्य में प्रयुक्त कर्म 'चाय' (स्त्रीलिंग , एकवचन) के अनुसार है। दूसरे वाक्य में प्रयुक्त क्रिया 'पीया' पुल्लिंग , एकवचन में है जो वाक्य में प्रयुक्त कर्म 'दूध' (पुल्लिंग , एकवचन) के अनुसार है।
कर्मवाच्य की दो स्थितियाँ है
- कर्त्तायुक्त कर्मवाच्य
- कर्त्ता रहित कर्मवाच्य
i. कर्त्तायुक्त कर्मवाच्य :- जिस वाच्य में कर्त्ता विद्यमान हो तो वह तिर्यक कारक की स्थिति में होगा अर्थात कर्त्ता कारक चिह्न (विभक्ति) युक्त होगा तथा ऐसी स्थिति में क्रिया भूतकालिक होगी।
जैसे -
- नरेश ने मिठाई खाई।
- रोजी ने दूध पीया।
ii. कर्त्ता मुक्त(रहित) कर्मवाच्य :- कर्त्ता मुक्त कर्मवाच्य की स्थिति में वाक्य में प्रयुक्त कर्म ही प्रत्यक्ष कर्त्ता के रूप में प्रयुक्त होता है। ऐसी स्थिति में क्रिया संयुक्त होती है।
जैसे -
- एक ओर अध्ययन हो रहा था , दूसरी ओर मैच चल रहा था।
जबकि क्रिया की पूर्णता की स्थिति में क्रिया पद में आ / ई / ए मुख्यधातु में न जुड़कर उसके तुरंत बाद में प्रयुक्त सहायक धातु में जुड़ते है।
जैसे -
- राम की घडी चुराली गई चोर पकड़ लिए गए।
3. भाववाच्य :- जब वाक्य में प्रयुक्त होने वाली क्रिया न तो कर्त्ता के अनुसार होती है , न कर्म के अनुसार , बल्कि असमर्थता के भाव के साथ वहाँ भाववाच्य होता है।
जैसे -
आँखों में दर्द के कारण मुझ से पढ़ा नहीं जाता।
(इस स्थिति में अकर्मक क्रिया का ही प्रयोग भाव वाच्य में होता है।)
भाववाच्य की एक दूसरी स्थिति भी है कि यदि क्रिया सकर्मक हो तथा कर्त्ता और कर्म दोनों तिर्यक (विभक्तिचिह्न युक्त) हो तो क्रिया सदैव पुल्लिंग , अन्यपुरुष , एकवचन , भूतकाल की होगी।
जैसे -
- राम ने रावण को मारा।
- लड़कियों ने लड़कों को पीटा।
वाच्य परिवर्तन | vachya parivartan in hindi
1. कर्त्तृवाच्य से कर्मवाच्य बनाना :- कर्त्तृवाच्य वाक्य में कर्त्ता की प्रधानता होती है , जबकि कर्मवाच्य में कर्म की प्रधानता होती है। अतः किसी वाक्य को कर्तृवाच्य से कर्मवाच्य बनाते समय , वाक्य में कर्त्ता को प्रधानता (मुख्य) न गौण (छुपा हुआ)बना दिया जाता है तथा कर्म को प्रधानता दी जाती है। कर्त्ता की गौण स्थिति भी दो तरह से हो सकती है। एक कर्त्ता को करण कारक या माध्यम के रूप में प्रयुक्त कर , उसके साथ 'से, के द्वारा' आदि विभक्तियाँ लगाकर या दूसरी स्थिति में कर्त्ता का लोप ही कर दिया जाता है।
जैसे -श्याम पत्र लिखेगा।
यह वाक्य कर्त्तृवाच्य है इसका कर्मवाच्य रूप 'श्याम द्वारा पत्र लिखा जाएगा।' होगा।
क्रम स. |
कर्त्तृवाच्य | कर्मवाच्य |
---|---|---|
1. | कलाकार मूर्ति गढ़ता है। | कलाकार द्वारा मूर्ति गढ़ी जाती है। |
2. | वह पत्र लिखता है। | उसके द्वारा पत्र लिखा जाता है। |
3. | राम ने पुस्तक पढ़ी। | राम द्वारा पुस्तक पढ़ी गई। |
4. | दादी कहानी सुनाएगी। | दादी द्वारा कहानी सुनाई जाएगी। |
5. | राम व्यायाम करता है। | राम द्वारा व्यायाम किया जाता है। |
2. कर्त्तृवाच्य से भाववाच्य बनाना :- कर्तृवाच्य में प्रयुक्त क्रिया कर्त्ता के अनुसार प्रयुक्त होती है , जबकि भाववाच्य में प्रयुक्त क्रिया न कर्त्ता के अनुकूल होती है , और न ही कर्म के अनुसार बल्कि वह असमर्थता के भाव के अनुसार प्रयुक्त होती है। अतः कर्तृवाच्य से भाववाच्य बनाते समय कर्त्ता के साथ ' से ' लगाना चाहिए या कर्त्ता का उल्लेख ही नहीं हो , लेकिन कर्त्ता के उल्लेख न होने की स्थिति तब होती है , जब मूल कर्त्ता सामान्य हो। साथ ही मुख्य क्रिया के साथ संयोगी क्रिया 'जा' लगती है।
जैसे -
क्रम स. | कर्त्तृवाच्य | भाववाच्य |
---|---|---|
1. | मैं अब चल नहीं पाता। | मुझ से अब चला नहीं जाता। |
2. | गर्मियों में लोग खूब नहाते है। | गर्मियों में खूब नहाया जाता है। |
3. | वे गा नहीं सकते। | उनसे गाया नहीं जा सकता। |
3. कर्मवाच्य से कर्तृवाच्य बनाना :- कर्त्तृवाच्य में कर्त्ता की मुख्य भूमिका होती है लेकिन कर्मवाच्य कर्म की प्रधानता होती है , अतः कर्मवाच्य से कर्त्तृवाच्य बनाते समय पुनः कर्त्ता के अनुसार क्रिया प्रयुक्त कर देंगे।
जैसे -
क्रम स. | कर्मवाच्य | कर्त्तृवाच्य |
---|---|---|
1. | उसके द्वारा पत्र लिखा जाएगा। | वह पत्र लिखेगा। |
2. | बच्चो द्वारा चित्र बनाए गए। | बच्चो ने चित्र बनाए। |
3. | गधे द्वारा बोझा ढोया गया। | गधे ने बोझा ढोया। |
हमारे इस पोस्ट को पढ़ने के लिए आपका धन्यवाद ! इसमें आपको वाच्य की परिभाषा, वाच्य के भेद , वाच्य परिवर्तन , कर्त्तृवाच्य , कर्मवाच्य , भाववाच्य , vachya in hindi, वाच्य के उदाहरण आदि के बारे में संक्षिप्त जानकारी दी गई है।
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